Rajasthan Diwas 2023, राजस्थान एकीकरण के रोचक किस्से

Rajasthan Diwas 2023 – दोस्तों आज 30 मार्च 2023 को राजस्थान के निवासी राजस्थान दिवस के रूप में मनाते हैं, 30 मार्च 1949 को राजस्थान निर्माण का चतुर्थ चरण संपन्न हुआ जिसमें जयपुर, जोधपुर जैसलमेर और बीकानेर रियासते शामिल हुई जिसे वृहत राजस्थान का नाम दिया गया और उसी दिन को हम सभी राजस्थान दिवस के रूप में मनाते हैं आज राजस्थान दिवस के अवसर पर हम आपको राजस्थान के एकीकरण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं और रोचक किस्सों के बारे में बताने जा रहे हैं जी हां दोस्तों आज हम आपके लिए बहुत ही रोचक किस्से राजस्थान के एकीकरण को लेकर आए हैं इसके अलावा राजस्थान का एकीकरण कितने भाग में हुआ यह जानकारी भी आज हम आपको उपलब्ध करवाने जा रहे हैं तो आइए दोस्तों राजस्थान दिवस पर पढ़िए हमारी विशेष रिपोर्ट

Rajasthan Diwas 2023

दोस्तों राजस्थान के एकीकरण से पहले राजस्थान में 19 रियासत और 3 स्वतंत्र ठिकाने थे जिन के एकीकरण का श्रेय हमारे देश के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को जाता है उन्हीं के द्वारा राजस्थान के तत्कालीन राजाओं को मनाया गया और स्वतंत्र भारत में राजस्थान प्रांत का गठन किया गया आज जो राजस्थान 33 जिलों से बढ़कर 50 जिलों का किया गया है वह पहले केवल 19 रियासतों में था जिसमें जोधपुर सबसे बड़ी रियासत थी और झालावाड़ सबसे छोटी रियासत थी, अधिकतर रियासतों में राजपूत राजाओं का ही शासन था टोंक में मुस्लिम शासक इसके अलावा भरतपुर और धौलपुर में जाट शासक उस समय थे उस समय के कुछ शासकों द्वारा विलय में आनाकानी की गई और अनेक रोचक किस्से एकीकरण के समय हुए उन्हीं में से कुछ किस्से आज हम आपको बताने वाले हैं

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पहला किस्सा भारत के तत्कालीन गृह सचिव पर एक राजा ने गन तान दी

दोस्तों यह किस्सा है आजादी के समय पर ही नए-नए जोधपुर के राजा बने महाराजा हनुमंत सिंह के बारे में जो जोधपुर को पहले पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे लेकिन उनके पिता उमेद सिंह की इच्छा भारत में विलय की थी और उनकी 15 अगस्त 1947 से पहले ही आत्मिक मृत्यु हो जाने से हनुमत सिंह को जोधपुर का महाराजा बनाया गया और उनके द्वारा भारत सरकार पर अपनी कुछ मांगो को लेकर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान में मिलने की बात कही और दिल्ली में एक होटल में जिन्ना से बात की और उसी होटल में उनकी मुलाकात भारत के तत्कालीन गृह सचिव वीपी मैनन से हुई एवं वहां मेनन ने महाराजा हनुमंत सिंह को माउंटबेटन से मुलाकात के लिए मनाया और माउंटबेटन से मुलाकात करने पर माउंटबेटन ने महाराजा हनुमंत सिंह को उनके पिता और सरदार पटेल के दोस्ती के बारे में बताया जिसके पश्चात महाराजा हनुमंत सिंह भारत में विलय को लेकर तैयार हो गए और तब माउंटबेटन कमरे से बाहर चले गए थे एवं महाराजा हनुमंत सिंह ने हस्ताक्षर के लिए अपना फाउंटेन पेन निकाला जिसे खोलते ही वह एक गन के रूप में तब्दील हो गया और वही गन महाराजा हनुमंत सिंह ने कमरे में मौजूद वीपी मैनन के सर पर तान दी तब माउंटबेटन वापस आए और उन्होंने हनुमंत सिंह को समझाया तब महाराजा हनुमंत सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और उस पेन को माउंटबेटन को गिफ्ट कर दिया जो अभी भी लंदन के एक संग्रहालय में सुरक्षित है

में अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं

एकीकरण के समय कुछ राजा एकीकरण का विरोध कर रहे थे उन्हीं में से एक थे बांसवाड़ा के राजा चंद्रवीर सिंह जिन्होंने एकीकरण का विरोध किया लेकिन सरदार पटेल के गृह सचिव वीपी मेनन द्वारा मनाने पर उन्होंने एकीकरण के विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया और हस्ताक्षर करते हुए यह बड़ी बात कही की “मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जा रहा हूं”

भारतीय महाद्वीप में मेवाड़ का स्थान कहा होगा

दोस्तों जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह जब जोधपुर को पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे तब उन्हें समझाने के लिए मेवाड़ महाराणा भोपाल सिंह जोधपुर महाराजा हनवंत सिंह से मिले और उन्होंने कहा कि भारतीय महाद्वीप में मेवाड का स्थान कहाँ होगा, इसका निर्णय तो मेरे पूर्वज शताब्दियों पूर्व कर चुके है । यदि वे देश के प्रति गद्दारी करते तो मुझे भी आज हैदराबाद जैसी बडी रियासत विरासत में मिलती । पर न तो मेरे पूर्वजों ने ऐसा किया और न मैं ऐसा करूँगा ।

राजस्थान का एकीकरण

दोस्तों राजस्थान का एकीकरण कुल 7 भागों में हुआ जिनकी जानकारी भी हमने नीचे उपलब्ध करवाई है

राजस्थान का एकीकरण प्रथम चरण

दोस्तों राजस्थान का एकीकरण का प्रथम चरण 18 मार्च 1948 को संपन्न हुआ जिससे मत्स्य संघ का नाम दिया गया और इसमें अलवर भरतपुर धौलपुर करौली नीमराना ठिकाना शामिल हुआ और राजधानी अलवर को बनाया गया

राजस्थान का एकीकरण द्वितीय चरण

दोस्तों राजस्थान के एकीकरण का द्वितीय चरण 25 मार्च 1948 को संपन्न हुआ जिसे पूर्व राजस्थान संघ का नाम दिया गया, जिसमें टोंक (ठिकाना—लावा), बूंदी, कोटा, झालावाड़, शाहगढ़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा (ठिकाना—कुशलगढ़) और किशनगढ़ को मिलाया गया जिसमें भीम सिंह कोटा को प्रथम राज्य प्रमुख बनाया गया

राजस्थान का एकीकरण तृतीय चरण

राजस्थान के एकीकरण का तृतीय चरण 18 अप्रैल 1948 को संपन्न हुआ जिसमें व संयुक्त राजस्थान का नाम दिया गया इसमें उदयपुर रियासत को शामिल किया गया और राजधानी उदयपुर बनाई गई एवं भोपाल सिंह को राज्य प्रमुख बनाया गया

राजस्थान का एकीकरण चतुर्थ चरण

दोस्तों राजस्थान के एकीकरण का चतुर्थ चरण 30 मार्च 1949 को संपन्न हुआ जिसे वृहत राजस्थान का नाम दिया गया और जयपुर जोधपुर जैसलमेर बीकानेर रियासतें शामिल हुई एवं नई राजधानी जयपुर को बनाया गया और प्रथम राजप्रमुख मानसिक द्वितीय को बनाया गया

राजस्थान का एकीकरण पंचम चरण

दोस्तों राजस्थान के एकीकरण का पंचम चरण 15 मई 1949 को संपन्न हुआ जिसमें वृहत राजस्थान में मत्स्य संघ को मिलाया गया राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री हीरालाल शास्त्री को नियुक्त किया गया

राजस्थान एकीकरण का सष्टम चरण

राजस्थान के एकीकरण में छठवें चरण में संयुक्त एवम वृहत राजस्थान को मिलाया गया इसके अलावा सिरोही को भी शामिल किया गया, यह गठन 26 जनवरी 1950 को किया गया और इसी दिन इस भौगोलिक क्षेत्र को राजस्थान नाम दिया गया

राजस्थान एकीकरण का सातवा चरण

राजस्थान एकीकरण का सातवां चरण 1 नवंबर 1956 को संपन्न हुआ जिसमें अजमेर-मेरवाड़ा, आबू-देलवाड़ा व मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले का सुनील टप्पा गाँव राजस्थान में शामिल,सिरोंज उपखण्ड मध्यप्रदेश को दिया गया, जिसकी राजधानी जयपुर रखी गई और राज प्रमुख का पद भी समाप्त कर दिया गया, राज्यपाल के पद लागू किया गया जिस पर सर्वप्रथम गुरुमुख निहाल सिंह को नियुक्त किया गया,इसके अलावा मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया को बनाया गया

दोस्तों यह थी राजस्थान के एकीकरण की महत्वपूर्ण जानकारी एवं राजस्थान के एकीकरण संबंधित रोचक किस्सों के बारे में जानकारी अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो अपने परिचितों को अवश्य शेयर करें ताकि सभी को राजस्थान के इतिहास के बारे में जानकारी हो सके

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