Laxmangarh VidhanSabha Chunav 2023 दोस्तों राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बिगुल बज चुका हैं और अब अब जहां देखो राजस्थान में विधानसभा चुनाव की ही चर्चा हो रही है इसलिए हम भी आपके लिए राजस्थान के सभी 200 विधानसभा सीटों के वर्तमान और पूर्व के समीकरण एवं सबसे महत्वपूर्ण राजस्थान में जो रहता है वह होता है जातीय समीकरण जिसकी विस्तृत जानकारी आपके लिए लेकर आए हैं और सबसे पहले हम शुरुआत करने जा रहे हैं राजस्थान की सीकर जिले की लक्ष्मणगढ़ हॉट सीट से
राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और चुनाव से पहले हर कोई अपनी विधानसभा के समीकरण जाने को लेकर उत्सुक है तो हम भी आपको सभी सीटों की वर्तमान समीकरण और उम्मीदवारों की जानकारी देने जा रहे हैं इसी कड़ी में हम आज आपके लिए लेकर आए हैं लक्ष्मणगढ़ विधानसभा जहां से कांग्रेस के सबसे कद्दावर जाट नेता गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा से सुभाष महरिया चुनाव लड़ने जा रहे हैं तो आईए जानते हैं लक्ष्मणगढ़ विधानसभा की कंप्लीट रिपोर्ट
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा का इतिहास
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा का इतिहास – दोस्तों सीकर जिले में स्थित लक्ष्मणगढ़ विधानसभा पहले फतेहपुर विधानसभा का हिस्सा थी लेकिन 1957 से यह विधानसभा अलग हो चुकी और सबसे पहले कांग्रेस के किशन सिंह विजयी रहे और कांग्रेस का गढ़ आप इसे कह सकते हैं क्योंकि अब तक हुए 14 में से 10 बार चुनावों में कांग्रेस ने बाजी मारी है यहां से पांच बार धोद के वर्तमान विधायक परसराम मोरदिया कांग्रेस की सीट पर चुनाव जीत चुके हैं जबकि 2003 में भाजपा ने यहां केसर देव बाबर को टिकट देकर बाजी मारी थी लेकिन उसके बाद में 2008 परिसीमन के बाद आरक्षित से सामान्य हुई सीट के चुनाव में गोविंद सिंह डोटासरा 34 वोट से विजय हुए थे जिसमे निर्दलीय दिनेश जोशी ने 31671 वोट पाकर गोविंद सिंह डोटासरा को कड़ी टक्कर दी उसके बाद 2013 में गोविंद सिंह डोटासरा ने कुल 55730 वोट प्राप्त किए जबकि सुभाष महरिया भाजपा से 45007 वोट ही प्राप्त कर सके और निर्दलीय दिनेश जोशी ने 43199 वोट पाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया और गोविंद सिंह डोटासरा ने मोदी लहर के बावजूद लक्ष्मणगढ़ विधानसभा में कांग्रेस का परचम लहराया
दो चुनाव में दिनेश जोशी द्वारा भाजपा का खेल बिगड़ने पर 2018 में पार्टी ने दिनेश जोशी को लक्ष्मणगढ़ से टिकट दिया लेकिन इस बार जातिगत फेक्टर हावी होने और माकपा कैंडिडेट के वोट कम प्राप्त करने एवं 2018 बीजेपी सरकार के प्रति एंटी इनकमबेंसी होने के कारण गोविंद सिंह डोटासरा तीसरी बार लक्ष्मणगढ़ से विजयी हुए इस बार उन्होंने 98227 वोट प्राप्त किए और भाजपा के दिनेश जोशी 76175 वोट ही प्राप्त कर सके इसके अलावा माकपा के कैंडिडेट बिजेंद्र मील 8617 वोट प्राप्त कर सके इस तरह गोविंद सिंह डोटासरा ने 20000 से अधिक वोटो से 2018 में इस विधानसभा को फतेह किया और तीसरी बार जीत कर विधानसभा में पहुंचे
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा जातिगत समीकरण
लक्ष्मणगढ़ विधानसभा जातिगत समीकरण राजस्थान में चुनाव हो तो जातिगत समीकरण की चर्चा किए बगैर कोई चुनाव संपन्न ही नहीं हो पाता लेकिन राजस्थान में जाति के समीकरण के लिए कोई स्थाई आंकड़े अभी तक सरकारी रूप से नहीं आ पाए हैं क्योंकि राजस्थान में जातिगत जनगणना नहीं हो पाई है लेकिन 2022 के आंकड़ों के अनुसार लक्ष्मणगढ़ विधानसभा में कुल 260553 मतदाता हैं जिनमें सबसे अधिक अनुमानित 80000 से अधिक जाट मतदाता हैं और उसके बाद मेघवाल समाज के करीब 45000 वोट इस विधानसभा में माने जा रहे हैं और यहां 38000 मुस्लिम, 30 000 राजपूत,30000 ब्राह्मण मतदाता भी मुख्य भूमिका में हैं इसके अलावा खाती,कुम्हार और माली भी सीट पर अपने समाज की 12- 12 हजार की संख्या रखते हैं और बनिया, नाई जाति के वोट भी इस विधानसभा में हैं
दोस्तों सबसे अधिक संख्या में जाट वोटर होने के कारण इस सीट पर परिसीमन के बाद जाटों का कब्जा रहा है और इसी को देखते हुए भाजपा ने भी इस बार कांग्रेस में जाकर वापस आए पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया को अपना कैंडिडेट बनाया है जिससे यह इस बार काफी रोचक सीट हो चुकी है और गोविंद सिंह डोटासरा को अपनी ही जाति के कैंडिडेट सुभाष महरिया से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना व्यक्त की जा रही है
दोस्तों आपने लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र का इतिहास और जातिगत समीकरण जान लिया है तो अब जानते हैं इस बार के समीकरण के बारे में की कांग्रेस के गढ़ में इस बार भाजपा के सुभाष महरिया कमल खिला पाएंगे या नहीं तो इसके लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट के बारे में भी बात करनी होगी तभी हम इस सीट का आपको सही तरीके से आकलन बता पाएंगे
विकाश के मुद्दे पर अगर लक्ष्मणगढ़ में चुनाव हो तो गोविंद सिंह डोटासरा इस चुनाव में आगे दिख रहे हैं क्योंकि अपने कद से गोविंद सिंह डोटासरा ने काफी ज्यादा बजट लक्ष्मणगढ़ की जनता को दिया और जिला अस्पताल नेचर पार्क एवं स्टेडियम जैसी सुविधाएं देकर लक्ष्मणगढ़ में अनेक विकास कार्य करवाए हैं लेकिन विपक्ष का कहना है कि लक्ष्मणगढ़ में विकास कार्य तो बहुत हुए हैं लेकिन केवल कागजों में क्योंकि विकास कार्यों में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है और खुला भ्रष्टाचार इन विकास कार्यों में हुआ है
जातिगत समीकरण के हिसाब से इस बार गोविंद सिंह डोटासरा को कड़ी टक्कर सुभाष महरिया की ओर से मिलने वाली है क्योंकि पिछली बार जहां दिनेश जोशी ब्राह्मण जाति के कैंडिडेट थे लेकिन इस बार सुभाष महरिया उनके सामने जाट जाति से ही आते हैं और दोनों ही अपनी जाति के कद्दावर नेता हैं तो जातिगत समीकरण पिछले के बजाय इस बार गोविंद सिंह डोटासरा के इतने पक्ष में इतने नहीं दिख रहे हैं फिर भी गोविंद सिंह डोटासरा ने अपनी जाति के वोटो में काफी अच्छी पैठ जमा रखी है और मुस्लिम एवं ऐसी वर्ग का कांग्रेस को साथ मिलने के कारण जातिगत समीकरणों में गोविंद सिंह डोटासरा आगे दिख रहे हैं अब देखना होगा कि सुभाष महरिया अपनी जाति के कितने वोट इस चुनाव में खींच पाते हैं
एंटीइंकम्बेंसी भी चुनाव का एक बड़ा मुद्दा होती है और यह लक्ष्मणगढ़ में देखने को मिल रही है क्योंकि पिछले 15 वर्षों से एक ही विधायक होने के कारण काफी लोग गोविंद सिंह डोटासरा से नाराज भी दिख रहे हैं क्योंकि कुछ लोगों के काम नहीं होने के कारण वह अब आचार संहिता लगने के बाद खुलकर खिलाफत कर रहे हैं एवं नगर पालिका में केवल डोटासरा समर्थको के ही कम होने,रिश्वत से पट्टे बनाने जैसे आरोपों के कारण लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है
भाजपा की तिकड़ी सुभाष महरिया,दिनेश जोशी और हरिराम रणवा अगर साथ मिलकर चुनाव लड़ते है तो गोविंद सिंह डोटासरा के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा लेकिन हरिराम रणवा टिकट की घोषणा के बाद ही नाराज दिख रहे और अगर निर्दलीय ताल ठोकते हैं तो सुभाष महरिया के लिए राह कठिन हो जाएगी हालांकि पार्टी स्तर पर तीनों नेता एकजुट होकर गोविंद सिंह डोटासरा को चुनाव हारने की बात कर रहे हैं अब धरातल पर कितना साथ दिनेश जोशी और हरिराम रणवा का सुभाष महरिया को मिलता है इसी के आधार पर लक्ष्मणगढ़ का नतीजा इस बार तय हो सकता है
गोविंद सिंह डोटासरा को जब से पीएससी के बन गया है उनका कद काफी बढ़ चुका है और इस चुनाव में उसका लाभ उन्हें जरूर मिलेगा उन्होंने अपने समर्थकों के पूरे राजस्थान में कहीं भी हो काम करवाए हैं जिससे वह बढ़त लेते हुए दिख रहे हैं इसके अलावा उनके भाषणों में स्थानीय भाषा का समावेश होने के कारण वह आम जनता में काफी लोकप्रिय भी हैं लेकिन पीसीसी चीफ होने के कारण जनता को कम समय दे पाना उनके लिए थोड़ा नुकसान भी कर सकता है अगर अब वह चुनाव में पीसीसी चीफ की भूमिका में होने के कारण अपने क्षेत्र में समय कम दे पाते हैं तो जरूर उसका नुकसान हो सकता है
रीट और Ras भर्ती मुद्दे को लेकर जहां पूरे राजस्थान में गोविंद सिंह डोटासरा पर आरोप लगाए जा रहे हैं लेकिन उनकी विधानसभा में यह मुद्दा कोई ज्यादा हावी नहीं दिख रहा है और इस मुद्दे को लेकर लक्ष्मणगढ़ में इतनी ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है लेकिन युवा वर्ग के वोटरों से थोड़ा नुकसान गोविंद सिंह डोटासरा को इस मुद्दे के कारण भी हो सकता है
निष्कर्ष – दोस्तों यह थी लक्ष्मणगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 की पूरी रिपोर्ट जिसमें हमने आपको सभी फैक्टर से इस सीट की कंप्लीट जानकारी उपलब्ध करवाई है और इसको देखते हुए अभी तक गोविंद सिंह डोटासरा यहां से आगे दिख रहे लेकिन अगर भाजपा के तीनों बड़े नेता एकजुट होते हैं तो गोविंद सिंह डोटासरा को चुनाव जीतने के लिए मेहनत करनी पड़ सकती है
आपके विधानसभा क्षेत्र की कंप्लीट रिपोर्ट जल्द ही इस व्हाट्सएप ग्रुप में दी जाएगी तो तुरंत जुड़ जाए – क्लीक करें
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