Dantaramgarh Vidhansabha Chunav 2023 दोस्तों राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं और विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद में अब हर कोई अपनी विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्ट जानना चाहता है इसीलिए हमने आज आपको उपलब्ध करवाई है दांतारामगढ़ विधानसभा जो की सीकर जिले में आती है उसका पूरा इतिहास एवं वर्तमान की स्थिति और साथ में जातिगत समीकरण तो आईए जानते हैं दातारामगढ़ विधानसभा में इस बार किसका पलड़ा है भारी
दोस्तों सीकर जिले में दातारामगढ़ विधानसभा एक तरह से कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और बीजेपी ने वहां से टिकट दी है गजानंद कुमावत को, तो क्या वह इस बार कांग्रेस के इस गढ़ को ढहा पाएंगे और जाति का समीकरण किस उम्मीदवार के पक्ष में बैठता है इसके अलावा विधायक का रिपोर्ट कार्ड इस इलाके में क्या कहता है आदि सभी विषयों की विस्तृत रूप से हम बात करेंगे ताकि आपको इस विधानसभा की ग्राउंड रिपोर्ट पता चल सकें
दोस्तों विधानसभा चुनाव में अगर आप किसी विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान चुनावी समीकरण जानना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उसे विधानसभा का इतिहास जानना आवश्यक है इसीलिए हमने आजादी के बात से वर्ष 2018 में हुए अंतिम चुनाव तक दातारामगढ़ विधानसभा का कंपलीट इतिहास यहां आपको उपलब्ध करवाया है ताकि आप जान सके कि इससे पहले यहां किन विधायकों ने जीत दर्ज की है और किस पार्टी का पलड़ा यहां पर भारी रहा है
1952 में भैरोंसिंह ने कांग्रेस के विद्याधर को 2833 मतों से हराया, सन् 1957 में मदनसिंह ने कांग्रेस के जगनसिंह को 4687 मतों से हराया, सन् 1962 में जगनसिंह ने मदनसिंह को 612 मतों से हराया , सन् 1967 में मदनसिंह ने जगनसिंह को 11306 मतों से हराया, सन् 1972 में नारायण सिंह ने मदनसिंह को 3595 मतों से हराया, सन् 1977 में मदनसिंह ने कांग्रेस के नारायण सिंह को 1224 मतों से हराया, सन् 1980 में नारायण सिंह ने कल्याण सिंह को 1461 मतों से हराया, सन् 1985 में नारायण सिंह ने भाजपा के जगदीश शर्मा को 12890 मतों से हराया, सन् 1990 में अजय सिंह ने नारायण सिंह को 6163 मतों से हराया, सन् 1993 में नारायण सिंह ने शिवनाथ सिंह को 15137 मतों से हराया, सन् 1998 में नारायण सिंह ने शिवनाथ सिंह को 18967 मतों से हराया, सन् 2003 में नारायण सिंह ने मदन पुजारी को 14962 मतों से हराया, सन् 2008 में माकपा के अमराराम ने नारायण सिंह को 4919 मतों से हराया, सन् 2013 में नारायण सिंह हरीश कुमावत को 575 मतों से हराया, सन् 2018 में नारायण सिंह के बेटे विरेन्द्र सिंह ने हरीश कुमावत को 920 मतों से हराया था।
दातारामगढ़ विधानसभा जातिगत समीकरण
राजस्थान विधानसभा के अगर चुनाव हो और जाति की बात हम नहीं करें तो चुनाव संपन्न ही नहीं हो सकते क्योंकि राजस्थान में भी बिहार की तरह जातिगत आधार पर चुनाव होते हैं और दातारामगढ़ विधानसभा की बात करें तो यह एक जाट बहुल्य विधानसभा है जहां पर सबसे ज्यादा वोट जाट जाति के हैं और दूसरे नंबर पर यहां कुमावत समाज अपनी संख्या बल रखता है राजस्थान में यही विधानसभा है जहां कुमावत समाज के 48000 से अधिक वोटर है और तीसरे नंबर की जाती यहां पर राजपूत है जो अच्छा संख्या बल रखती है उसके बाद में यहां पर ब्राह्मण जाति भी अपना वर्चस्व रखती हैं इसी के साथ मेघवाल समाज के वाटर भी यहां हर गांव में देखने को मिलेंगे जबकि मुस्लिम समुदाय की बात करें तो इस विधानसभा मैं मुस्लिम समुदाय बहुत ही काम देखने को मिलेगा
दांता रामगढ़ में जनता के मुद्दे
दातारामगढ़ विधानसभा में अगर आम जनता के मुद्दों की बात करें तो यहां सबसे बड़ा मुद्दा पानी का है क्योंकि यहां पर ऐसा कोई गांव नहीं बचा है जो डार्क जोन में नहीं है और पीने के पानी के लिए भी टैंकर मंगवाने पड़ते हैं सरकार चाहे किसी की भी हो लेकिन दातारामगढ़ विधानसभा में अभी सबसे बड़ा मुद्दे पानी के लिए है,जिस पर किसी भी सरकार ने काम नहीं किया है और आमजन पानी के मुद्दे पर ही इस बार वोट देने को तैयार है इसी के साथ दातारामगढ़ विधानसभा में सड़कों का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दातारामगढ़ विधानसभा से खाटू श्याम जी को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण सड़क भी खड्डो से भरी पड़ी है इसलिए दातारामगढ़ विधानसभा में पानी और सड़क सबसे महत्वपूर्ण जनता के लिए मुद्दा है
दातारामगढ़ विधानसभा वर्तमान समीकरण
विधायक का कार्यकाल दातारामगढ़ विधानसभा में किस प्रकार से रहा है वह आप इसी बात से जान सकते हैं कि दातारामगढ़ विधानसभा में अगर आप आमजन से बात करेंगे तो कांग्रेस सरकार के खिलाफ उनका रवैया अच्छा है लेकिन विधायक के खिलाफ दातारामगढ़ की जनता खिलाफ हो रखी है और इस बार दांतारामगढ़ विधायक का रिपोर्ट कार्ड आमजन के सामने बहुत ही खराब रहा है
जातिगत समीकरण की बात करें तो दातारामगढ़ विधानसभा एक जाट बाहुल्य विधानसभा है और वर्तमान विधायक वीरेंद्र सिंह जाट जाति से ही हैं और उनके पिताजी नारायण सिंह जी सात बार यहां से विधायक रह चुके हैं और अपनी जाति में अच्छी पैठ रखते हैं लेकिन माकपा के कॉमरेड अमराराम यहां इस बार हावी हो रखे हैं जिससे वीरेंद्र सिंह को काफी नुकसान हो सकता है और संख्यबाल में दूसरे नंबर की जाति से भाजपा ने गजानंद कुमावत को टिकट दी है जो जातिगत समीकरण में हावी होते नजर आ रहे हैं
विकाश के मुद्दे पर बात करें तो वीरेंद्र सिंह ने काफी अच्छा विकास दातारामगढ़ विधानसभा में करवाया है सबसे अधिक वर्तमान विधायक वीरेंद्र सिंह ने स्कूलों को 12वी तक करवावाने में अपना योगदान दिया है लेकिन अभी तक एक भी सरकारी कॉलेज विधानसभा मुख्यालय पर नहीं होने के कारण उन्हें पटकनी खानी पड़ रही है इसी के साथ सड़कों के मुद्दों पर भी वीरेंद्र सिंह आमजन में पिछड़े नजर आते दिख रहे हैं
विधायक के स्वभाव की बात करें तो वीरेंद्र सिंह एक दिग्गज नेता नारायण सिंह के बेटे हैं लेकिन वह आमजन से एक आम आदमी की तरह ही मिलते हैं और काफी मिलनसार स्वभाव होने के कारण आमजन में काफी लोकप्रिय भी है लेकिन उनकी पत्नी पूर्व जिला प्रमुख रीटा सिंह द्वारा उनका विरोध करने के कारण जनता दोबारा उन्हें आजमाने के बारे में सोच रही है क्योंकि उनकी पत्नी रीटा सिंह जेजेपी पार्टी ज्वाइन कर चुकी है और शायद उनके खिलाफ चुनाव भी लड़ने को तैयार है
कांग्रेस में दावेदारी को लेकर अगर आप जानना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि दातारामगढ़ विधानसभा में वीरेंद्र सिंह दिग्गज नारायण सिंह जी के बेटे हैं और उनके सामने अभी कांग्रेस में कोई चुनौती नहीं दिख रही है इसलिए कांग्रेस पार्टी में वह अपनी दावेदारी मजबूती से रख सकेंगे साथ ही कांग्रेस पार्टी में ऐसा कोई उम्मीदवार नहीं दिख रहा जो उनका टिकट कटवा सके
एंटी इंकमाबेंसी को लेकर अगर आप जाना चाहते हैं तो यहां अगर आप आमजन से बात करेंगे तो कांग्रेस सरकार को लेकर यहां बिल्कुल भी एंटी इंकम्बेंसी नहीं है लेकिन स्थानीय विधायक वीरेंद्र सिंह को लेकर काफी लोगों में रोष देखने को मिला है तो हम यह कह सकते हैं कि विधानसभा चुनाव में एंटी एंटी इंकम्बेंसी के कारण वर्तमान विधायक वीरेंद्र सिंह को नुकसान यहां पर देखने को मिलेगा
भाजपा कि यहां स्थिति देखे तो पिछले दो चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार हरीश कुमावत नावा विधानसभा से आते थे इसके कारण उन्हें स्थानीय उम्मीदवार नहीं होने का नुकसान होता था लेकिन इस बार भाजपा ने यहां की दूसरी सबसे बड़ी जाति कुमावत समाज के गजानंद कुमावत को टिकट देकर स्थानीय के मुद्दे को भी हल कर दिया है और इसका फायदा भाजपा को जाता हुआ दिख रहा है इसी के कारण इस बार यहां कमल खिलाने की संभावनाएं दिख रही है
माकपा पार्टी जहां राजस्थान में कांग्रेस से गठबंधन की बात कर रही है और अगर यह गठबंधन होता है तो कांग्रेस की आसान हो जाएगी क्योंकि कॉमरेड अमराराम जाट जाति से हैं और वर्ष 2013 के चुनाव में यहां से जीत भी दर्ज कर चुके हैं और अच्छा वर्चस्व अपना रखते हैं इसके कारण वह अगर कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो वर्तमान विधायक वीरेंद्र सिंह को काफी नुकसान होगा एवं जाट वोटो में बंटवारा होगा जिससे भाजपा की राह आसान हो जाएगी लेकिन अगर कांग्रेस एवं माकपा का गठबंधन होता है तो यहां से कांग्रेस आसानी से जीत दर्ज करेगी
भाजपा में फूट कि अगर बात करें तो भाजपा ने जिस उम्मीदवार को यहां से खड़ा किया है उसके खिलाफ फुट काफी कम देखने को मिल रही है और भाजपा के महत्वपूर्ण राजपूत उम्मीदवार प्रभु सिंह गोगावास,शक्ति सिंह आलोदा और जाट जाति के इंद्रा चौधरी एवं राजेंद्र धीरजपुरा का समर्थन भी गजानंद कुमावत को मिल रहा है जिससे इस बार यहां भाजपा कमल खिलाने को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है लेकिन अगर भाजपा और कांग्रेस का गठबंधन होता है तो यहां भाजपा की राह कठिन होगी
दांतारामगढ़ विधानसभा की वर्तमान स्थिति
दोस्तों हमने आपको दातारामगढ़ विधानसभा के सभी समीकरणों और ग्राउंड रिपोर्ट के बारे में अवगत करवाया है एवं हमारे पास ग्राउंड रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार इस बार कांग्रेस की राह दांतारामगढ विधानसभा से कठिन होने जा रही हैं लेकिन भाजपा से बहुत ज्यादा उम्मीदवारों ने तैयारी कर रखी थी अगर वह अपनी पार्टी के उम्मीदवार का साथ नहीं देते हैं तो कांग्रेस यहां आसानी से जीत दर्ज करेगी लेकिन अगर भाजपा एकजुट होकर यहां चुनाव लड़ेगी तो इस बार दांतारामगढ़ में कमल खिलाने की संभावनाएं काफी ज्यादा है इसी के साथ अगर कांग्रेस एवं भाजपा के साथ गठबंधन होता है तो कांग्रेस यहां आसानी से जीत दर्ज करेगी
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दोस्तों यह जानकारी ग्राउंड रिपोर्ट से प्राप्त करके हमने उपलब्ध करवाई हैं अगर आप इस विधानसभा के बारे में जानकारी रखते हैं तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर रखें