Fatehpur Vidhansabha Chunav 2023 राजस्थान में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं चुनावी सरगर्मियां भी तेज हो चुकी है और पार्टियों द्वारा अपने प्रत्याशी भी घोषित किये जा रहे हैं इसलिए हम भी आपके लिए लेकर आए हैं भाजपा की प्रथम लिस्ट में जारी फतेहपुर सीट के प्रत्याशी श्रवण चौधरी और वर्तमान विधायक हाकम अली में किसका पलड़ा भारी है और इस बार फतेहपुर की सीट कौन सी पार्टी के झोली में जा सकती हैं इसके अलावा फतेहपुर विधानसभा का चुनावी इतिहास
सीकर जिले की फतेहपुर विधानसभा कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है और अल्पसंख्यक वोटो की अधिकता के कारण इस सीट पर ज्यादातर चुनाव में अल्पसंख्यक वर्ग का ही कब जा रहा है हालांकि भाजपा के बनवारी लाल भिंडा, सीपीएम के त्रिलोक सिंह और निर्दलीय नंदकिशोर महरिया इस सीट पर कांग्रेस को पराजित भी कर चुके हैं तो आईए जानते हैं इस बार के समीकरण और अब तक इस विधानसभा में किस पार्टी का पलड़ा भारी रहा है और जनता के कौन से मुद्दे इस बार यहां के चुनाव में रहेंगे
फतेहपुर विधानसभा का इतिहास
फतेहपुर विधानसभा के बारे में हम आपको बता दें कि यह पहले चुनाव में लक्ष्मणगढ़ का हिस्सा थी और अब्दुल गफ्फार खान 1957 में 3955 वोट पाकर विजई हुए उसके बाद में 1962 विधानसभा चुनाव में बाबूराम ने 14581 वोट हासिल किया जबकि इस चुनाव में अब्दुल गफ्फार खान को 6866 वोट ही मिले इस तरह बाबूराम ने दूसरे चुनाव में बाजी मारी और इसके बाद 1967 में तीसरी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सांवरमल ने चुनाव लड़ा जबकि स्वराज पार्टी के आलम अली ने उनके सामने ताल ठोकी जिसमें आलम अली को 15828 मत हासिल हुई तो वही सांवरमल को 13943 वोट मिले
चौथी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वापस अब्दुल गफ्फार खान कोई टिकट दिया तो वहीं नको पार्टी से झाबरमल ने चुनाव लड़ा जिसमें झाबरमल को 243005 मत हासिल हुए और अब्दुल गफ्फार खान 21633 मत ही हासिल कर सके जिससे झाबरमल 1972 विधानसभा चुनाव में विजय हुए और 1977 विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने स्वराज पार्टी से जीत हासिल कर चुके आलम अली खान को टिकट दिया जबकि कांग्रेस ने वापस सांवरमल पर दांव खेला और सांवरमल मात्र 16615 मत ही हासिल कर सके जबकि जनता पार्टी के आलम अली खान 21183 मत के पाकर विजयी हुए
फतेहपुर विधानसभा चुनाव में 1980 में हुए छठे विधानसभा चुनाव आते ही कांग्रेस की ओर से मोहम्मद फारुख को उम्मीदवार बनाया गया तो वहीं जनता पार्टी ने आलम अली खान को ही टिकट दिया और रामप्रसाद ने निर्दलीय चुनाव में ताल ठोक दी इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ने त्रिलोक सिंह को टिकट दिया और यहां कम्युनिस्ट पार्टी ने पहली बार अपना खाता खोला कम्युनिस्ट पार्टी के त्रिलोक सिंह 18463 मत हासिल करके विजई हुए जबकि निर्दलीय उम्मीदवार रामप्रसाद दूसरे स्थान पर रहे और आलम अली खान तीसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस के मोहम्मद फारुख चौथे स्थान पर रहे
1985 में हुए सातवें विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अस्त अली को टिकट दिया तो वहीं लोक दल की ओर से राम सिंह ने चुनाव लड़ा इस चुनाव में अस्क अली को 47% से अधिक 36143 वोट प्राप्त हुए और लोक दल के राम सिंह 31343 वोट ही हासिल कर पाए इसी के साथ कांग्रेस को काफी समय बाद यहां सफलता मिली इसके बाद हुए 1999 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने दिलसुख राय को टिकट दिया वहीं कांग्रेस की ओर से मोहम्मद हनीफ चुनाव मैदान में उतरे इस चुनाव में कांग्रेस के मोहम्मद हनीफ को 26669 वोट मिला तो वहीं दिल सुख राय 35767 वोट प्राप्त करके विजई हुए
1993 9वी विधानसभा चुनाव मैं फतेहपुर विधानसभा से कांग्रेस ने एक बार फिर मोहम्मद हनीफ को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से बनवारी लाल चुनाव मैदान में उतरे इस चुनाव में बनवारी लाल को 44857 मत प्राप्त हुए और मोहम्मद हनीफ 42020 मत ही हासिल कर सके जिससे भाजपा ने यहां अपना पहली बार खाता खोला इसके बाद में 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भंवरु खान को टिकट दिया जबकि भाजपा की ओर से बनवारी लाल को टिकट दी गई जिसमें बनवारी लाल को मात्र 31000 वोट मिले और भंवरू खां 63378 वोट पाकर विजयी हुए
अब 2003 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस ने फिर से भवरु खान को उम्मीदवार बनाया और भाजपा ने नंदकिशोर महरिया को टिकट दिया इस चुनाव में भाजपा के नंदकिशोर महरिया केवल 20846 वोट ही प्राप्त कर सके जबकि भवरु खान 42677 वोट हासिल करने में कामयाब हुए और इसके बाद 11वीं विधानसभा 2008 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर से एक बार भंवरु खान पर विश्वास जताया तो वहीं भाजपा ने भी एक बार फिर से नंदकिशोर महरिया पर ही दांव खेला लेकिन बीजेपी के नंदकिशोर महरिया इस बार भी 9000 के करीब वोटो से हार गए
अब बात करें 2013 विधानसभा चुनाव की तो इस चुनाव में नंदकिशोर महरिया निर्दलीय खड़े हुए जबकि भाजपा की मधुसूदन भिंडा को टिकट दिया गया एवं कांग्रेस ने भंवरु खां को ही दोबारा से उम्मीदवार बनाया लेकिन इस बार नंदकिशोर महरिया ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को हराकर कुल 53884 वोट हासिल किया जिससे उन्हें 4000 के करीब वोटो से विजय श्री प्राप्त हुई
अब बात करें फतेहपुर विधानसभा के 14वे विधानसभा चुनाव की तो यह 2018 में संपन्न हुए जिसमें कांग्रेस के भंवरू खां का निधन हो जाने के कारण उनके भाई हाकम अली खान को टिकट दिया गया और भाजपा ने भी अपना प्रत्याशी बदलते हुए सुनीता कुमारी को चुनाव मैदान में उतारा जबकि बसपा की ओर से जरीन खान भी टिकट लेकर मैदान में आई और कम्युनिस्ट पार्टी के अब्दुल हुसैन भी चुनावी मैदान में उतरे इस चुनाव में कांग्रेस के हाकम अली खान चुनाव जीतने में कामयाब हुए और उन्हें कुल 80 हजार 354 वोट प्राप्त हुए जबकि भाजपा की सुनीता कुमारी 79494 वोट प्राप्त करके दूसरे स्थान पर रही
फतेहपुर विधानसभा जातीय समीकरण
दोस्तों राजस्थान में किसी भी विधानसभा के चुनावी समीकरण की चर्चा करें तो उसमें जातीय समीकरण की चर्चा होना लाजमी है तो हम आपको बता दें कि फतेहपुर विधानसभा जाट बहुल्य क्षेत्र है जिसमें 65000 से अधिक जाट मतदाता है जबकि दूसरे नंबर पर यहां अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता है जो भी अपना 60000 से अधिक संख्या का वर्चस्व रखते हैं और 30000 के करीब मेघवाल समाज के मतदाता भी यहां अपना वर्चस्व रखते हैं और 28000 के करीब ब्राह्मण मतदाता भी इस विधानसभा में है साथ ही 20000 राजपूत और 20000 माली समाज के मतदाता भी इस विधानसभा में है इसके अलावा वैश्य, नाई ,खाती, कुम्हार आदि वर्ग के मतदाता भी इस विधानसभा क्षेत्र में अपना संख्या बल रखते हैं
दोस्तों वैसे तो किसी भी विधानसभा की बात करें तो विधानसभा में विकास सबसे पहला मुद्दा होता है लेकिन फतेहपुर विधानसभा में जनता विकास के बजाय धार्मिक मुद्दे पर वोट ज्यादा करती हैं और इसी कारण यह राजस्थान की एक संवेदनशील विधानसभा में से हैं यहां अल्पसंख्यक वर्ग के वोटर अधिक संख्या में होने के कारण यहां का चुनाव अधिकतर बार धार्मिक मुद्दों पर ही लड़ा गया है लेकिन इसके साथ ही यहां फतेहपुर शहर की बात करें तो सिवरेज लाइन एवं पीने के पानी का मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है जबकि इस विधानसभा में कॉलेज खोलने का मुद्दा वर्तमान विधायक द्वारा हल करवा दिया गया है इसके अलावा उप जिला अस्पताल भी यहां वर्तमान विधायक द्वारा खोला गया है
हाकम अली खान
मजबूत पक्ष – कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हकीम अली खान यहां मजबूत उम्मीदवारों में से हैं क्योंकि इनके भाई भंवरु खान तीन बार यहां से विधायक रह चुके हैं और अल्पसंख्यक बहुल सीट होने के कारण इन्हें यहां अल्पसंख्यक समाज के एक मुफ्त वोट मिलते हैं जिससे इनकी जीत का पलड़ा भारी नजर आता है और अन्य समाजों में भी यह अच्छी पकड़ रखते हैं
कमजोरी – अल्पसंख्यक एक समाज से होने के कारण भाजपा यहां ध्रुवीकरण का सहारा लेगी और उसी से इनको नुकसान भी हो सकता है अगर भाजपा यहां हिंदू वोटरों को एकजुट करने में कामयाब रही तो इनकी आसान नहीं होगी इसके अलावा इन पर तुष्टीकरण के आरोप भी लग रहे हैं जिससे यहां अन्य वर्ग के वोट पाने में इनको परेशानी हो सकती है
भाजपा उम्मीदवार श्रवण चौधरी
मजबूत पक्ष – भाजपा ने यहां इस बार सीएलसी कोचिंग संस्थान के निदेशक श्रवन चौधरी को उम्मीदवार बनाया है जिनकी साफ छवि है और जाट जाति से आते हैं जो इस विधानसभा की सबसे अधिक संख्या बल वाली जाति है और अगर एकजुट होकर इन्हें अपनी जाति के वोट मिलते हैं तो फतेहपुर में यह कमल खिला सकते हैं
कमजोर पक्ष – सीएलसी के डायरेक्टर श्रवण चौधरी राजनीति में बिल्कुल नए है और पहली बार कहीं से चुनाव लड़ने जा रहे हैं इसलिए उन्हें सबसे पहले पार्टी में ही सामंजस्य बिठाना होगा जो की काफी कठिन होता नजर आ रहा है और यहां उनके सामने जेजेपी पार्टी से नंदकिशोर महरिया भी ताल ठोक चुके हैं इसके अलावा मधुसूदन भिंडा भी उनके सामने निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं जिसका नुकसान इन्हें उठाना पड़ सकता है लेकिन यह सब को मनाने में कामयाब हुए तो जरूर कमल खिलाने में कामयाब हो सकते हैं
जेजीपी पार्टी से नंदकिशोर महरिया
मजबूत पक्ष नंदकिशोर महरिया यहां से पहले भी चार चुनाव लड़ चुके हैं और 2013 चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने में कामयाब भी हुए हैं इसके अलावा अपनी जाति के वोटरों में अच्छी पकड़ होने के कारण यह इस बार भी एक मजबूत उम्मीदवार नजर आ रहे हैं
कमजोर पक्ष नंदकिशोर महरिया को बड़ी पार्टी का टिकट नहीं मिलने के कारण अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कमजोर साबित हो सकते हैं इसके अलावा इनके भाई सुभाष महरिया भारतीय जनता पार्टी से लक्ष्मणगढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं जिससे अभी इन्हें भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाया भी जा सकता है और अगर भारतीय जनता पार्टी एवं नंदकिशोर महरिया दोनों उम्मीदवार खड़े होते हैं तो इनको वोट आपस में बंट जाएंगे जिसका सीधा फायदा हाकम अली खान को मिलेगा
फतेहपुर विधानसभा में स्थानीय लोगों से बातचीत करने पर यहां बदलाव के आसान नजर आ रहे हैं और इस सीट पर कांग्रेस की राह आसान नहीं है लेकिन अगर भारतीय जनता पार्टी के कैंडिडेट आमने-सामने रहते हैं इसके अलावा नंदकिशोर महरिया भी चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस यहां आसानी से जीत दर्ज कर सकेगी लेकिन अगर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे तो जरूर यहां कांग्रेस को परेशानी हो सकती है इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी से भी अगर मुस्लिम चेहरे चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है फिर यहां कांटे की टक्कर होगी
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